भारतीय ब्लॉग लेखक मंच |
- माचिस उद्योग अपने उपभोक्ताओं के साथ धोखा
- बाबा रामदेव के नाम पर हो-हल्ला क्यों...?
- प्रेम काव्य-महाकाव्य..तृतीय रचना -विश्व-बंधुत्व ... पंचम सुमनान्जलि(क्रमश:)..--.----डा श्याम गुप्त
Posted: 13 Jun 2011 12:04 AM PDT पिछले कई महीनो से झेल रही हूँ इसीलिए आज लिख रही हूँ कि आज माचिस उद्योग अपने उपभोक्ताओं के साथ धोखा कर रहा है.हालाँकि ब्लॉग जगत में से अधिकांश लाइटर का इस्तेमाल करते होंगे किन्तु जहाँ तक मेरा मानना है मैं माचिस को इसके मुकाबले ज्यादा सही समझती हूँ मैंने भी अपनी आंटी के यहाँ लाइटर इस्तेमाल किया और या तो ये कहें कि मुझे इस्तेमाल करना नहीं आया या कहें कि उसे इस्तेमाल करने के लिए बहुत ताक़त चाहिए तो |
Posted: 12 Jun 2011 11:37 AM PDT बहुत पहले मैं टीवी पर बाबा रामदेव जी का योग शिविर देख रहा था, बाबा के इस शिविर का सञ्चालन विदेश में हो रहा था. उस दौरान जब योग शिविर की समाप्ति हुयी तो वहा पर गाना बजने लगा " मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरा मोती, मेरे देश की धरती" " यह देश है वीर जवानों का" इस देश भक्ति गीत के साथ लोग भारत का तिरंगा लहरा रहे थे और झूम रहे थे, मजेदार बात यह थी की उस दौरान विदेशी भी झूम रहे थे. बहुत मनभावन लग |
Posted: 12 Jun 2011 10:13 AM PDT इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें!Twitter पर साझा करेंFacebook पर साझा करेंGoogle Buzz पर शेयर करें प्रेम किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता , किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जासकता ; वह एक विहंगम भाव है | प्रस्तुत है- पंचम -सुमनान्जलि..समष्टि-प्रेम....जिसमें देश व राष्ट्र -प्रेम , विश्व-वन्धुत्व व मानव-प्रेम निहित ...७ गीत व कवितायें ...... देव दानव |
No comments:
Post a Comment