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acid reflux disease
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Tuesday, June 14, 2011

अगर सच्चा प्यार






अभी-अभी

गंगापुत्र निगमानंद बलिदान

Author: 
सिराज केसर
संत निगमानंद: नैनीताल उच्च न्यायालय की भ्रष्टाचार के खिलाफ 68 दिन से अनशन पर बैठे संत निगमानंद अब कोमा में पहुंचेसंत निगमानंद अनंत में विलीनहरिद्वार की गंगा में खनन रोकने के लिए कई बार के लंबे अनशनों और जहर दिए जाने की वजह से मातृसदन के संत निगमानंद अब नहीं रहे। हरिद्वार की पवित्र धरती का गंगापुत्र अनंत यात्रा पर निकल चुका है। वैसे तो भारतीय अध्यात्म परंपरा में संत और अनंत को एक समान ही माना जाता है। सच्चे अर्थों में गंगापुत्र वे थे।

गंगा रक्षा मंच, गंगा सेवा मिशन, गंगा बचाओ आंदोलन आदि-आदि नामों से आए दिन अपने वैभव का प्रदर्शन करने वाले मठों-महंतों को देखते रहे हैं पर गंगा के लिए निगमानंद का बलिदान इतिहास में एक अलग अध्याय लिख चुका है।

गंगा के लिए संत निगमानंद ने 2008 में 73 दिन का आमरण अनशन किया था। उसी समय से उनके शरीर के कई अंग कमजोर हो गए थे और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के भी लक्षण देखे गए थे। और अब 19 फरवरी 2011 से शुरू संत निगमानंद का आमरण अनशन 68वें दिन (27 अप्रैल 2011) को पुलिस गिरफ्तारी के साथ खत्म हुआ था, 




परिचय

गांधी के पथ पर संत


Source: 
दि संडे पोस्ट


साधारण सा धोती-कुर्ता और खड़ाऊं पहने दुबली-पतली काया वाले एक संत बाकी संतों से कुछ अलग हैं। यह न बड़े पण्डाल में बैठ प्रवचन देते हैं, न ही टेलीविजन चैनलों में, पर गांधी को भूल चुके उनके अनुयायियों के लिए ये एक सीख की तरह हैं। इनके गाँधीवादी तरीके से जारी आंदोलनों ने कई बार शासन को अपनी नीतियाँ बदलने को मजबूर किया। गंगा को खनन माफियाओं से बचाने की इनकी लड़ाई लगातार जारी है। ये संत हैं हरिद्वार के कनखल में गंगा किनारे बने मातृसदन के कुटियानुमा आश्रम में रहने वाले शिवानंद महाराज स्टोन क्रेशर माफिया और शासन-प्रशासन की कैद में खोखली होती गंगा को मुक्त कराने का एक दशक से भी लंबा इनका संघर्ष किसी से छुपा नहीं है। शिवानंद महाराज की गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने की प्रतिबद्धता ऐसे दौर में भी लगातार बनी हुई है जब गंगा के नाम पर खूब राजनीति हो रही है


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्याग्रह की शुरूआत दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ सब


आंदोलन का परिचय

न्यायपालिका की चौखट पर गंगा-भक्त


Author: 
शिराज केसर
गंगा में खनन को रोकने के लिए पिछले तीन-चार सालों के अंदर ही लंबे अनशन के कारण मातृसदन के संत निगमानंद अंतबेला में पहुंच चुके हैं। वैसे तो संत का अंत नहीं होता, संत देह मुक्त होकर अनंत हो जाता है। हरिद्वार की भूमि पर हजारों संतों, मठों, आश्रमों, शक्तिपीठों के वैभव का प्रदर्शन तो हम आये दिन देखते रहते हैं। पर हरिद्वार के मातृसदन के संत निगमानंद के आत्मोत्सर्ग की सादगी का वैभव हम पहली बार देख रहे हैं।


देश की स्वाभिमानी पीढ़ी तक शायद यह खबर भी नहीं है कि गंगा के लिए एक संत 2008 में 73 दिन का आमरण अनशन करता है जिसकी वजह से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का शिकार होता है। और अब 19 फरवरी से शुरू हुआ उनका आमरण अनशन 27 अप्रैल को पुलिस हिरासत से पूरा होता है। संत निगमानंद ने घोषणा की थी कि अगर उनकी मांगे न मान करके सरकार अगर जबर्दस्ती खिलाने की कोशिश करती है, तो वो आजीवन मुंह से अन्न नहीं ग्रहण नहीं करेंगे।

परिणाम

हरिद्वार की गंगा में खनन अब पूरी तरह बंद


Author: 
सिराज केसर

नैनीताल उच्चन्यायालय ने भी माना कि स्टोन क्रशर से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है


बेलगाम खनन का एक दृश्यबेलगाम खनन का एक दृश्यमातृसदन ने अंततः लड़ाई जीत ली। हरिद्वार की गंगा में अवैध खनन के खिलाफ पिछले 12 सालों से चल रहा संघर्ष अब अपने मुकाम पर पहुँच गया है। 26 मई को नैनीताल उच्च न्यायालय के फैसले में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि क्रशर को वर्तमान स्थान पर बंद कर देने के सरकारी आदेश को बहाल किया जाता है। इसके साथ ही सरकार के क्रशर बंद करने के आदेश के खिलाफ रिट-पिटीशन को खारिज किया जाता है।


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