"समाज का एक कड़वा सच"
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एक दिन पंडित को प्यास लगी, संयोगवश घर में पानी नहीं था। इसलिए उसकी पत्नी
पड़ोस से पानी ले आई। पानी पीकर पंडित ने पूछा....
पंडित - कहाँ से लायी हो? बहुत ठंडा पानी है।
पत्नी - पड़ोस के कुम्हार के घर से।
(पंडित ने यह सुनकर लोटा फेंक दिया और उसके तेवर चढ़ गए। वह जोर-जोर से चीखने
लगा )
पंडित - अरी तूने तो मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया। कुम्हार ( शूद्र ) के घर का
पानी पिला दिया।
(पत्नी भय से थर-थर कांपने लगी)
उसने पण्डित से माफ़ी मांग ली।
पत्नी - अब ऐसी भूल नहीं होगी।
शाम को पण्डित जब खाना खाने बैठा तो घर में खाने के लिए कुछ नहीं था।
पंडित - रोटी नहीं बनाई। भाजी नहीं बनाई। क्यों????
पत्नी - बनायी तो थी। लेकिन अनाज पैदा करने वाला कुणबी(शूद्र) था और जिस
कड़ाई में बनाया था, वो कड़ाई लोहार (शूद्र) के घर से आई
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