From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-09-30 18:59 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
पाखंड का अंत करने वाले कबीर जी...
एक बार रामानंद जी ने कबीर जी से कहा की हे कबीर आज श्राद्ध का दिन है और पितरो के लिये खीर बनानी है. आप जाइये पितरो की खीर के लिये दुध ले आइये.. कबीर जी उस समय 9 वर्ष के ही थे..
कबीर जी दुध का बरतन लेकर चल पडे... चलते चलते आगे एक गाय मरी हुई पडी थी.. कबीर जी ने आस पास से घास को उखाड कर गाय के पास डाल दिया और वही पर बैठ गये.. दुध का बरतन भी पास ही रख लिया... जब काफी देर हो गयी तो रामानंद ने सोचा.. पितरो को छिकाने का टाइम हो गया है.. कबीर अभी तक नही आया.. तो रामानंद जी खुद चल पडे दुध लेने..चले जा रहे थे तो आगे देखा की कबीर जी एक मरी हुई गाय के पास बरतन रखे बैठे है...
रामानंद जी बोले अरे कबीर तु दुध लेने नही गया.. कबीर जी बोले स्वामी जी ये गाये पहले घास खायेगी तभी तो दुध देगी.. रामानंद बोले अरे ये गाये तो मरी हुई है ये घास कैसे खायेगी??
कबीर जी बोले स्वामी जी ये गाय तो आज मरी है.. जब आज मरी गाय घास नही खा सकती.. तो आपके 1०० साल पहले मरे पितर खीर कैसे खायेगे...?? !!
अतः जो जीवित है उनकी सेवा करो...!!

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